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लेखनी प्रतियोगिता -16-May-2022 तेरी मेहरबानियां

तुम जो पास आये तो किस्मत बदल गई 

बड़ी नासाज थी तबीयत, अब बहल गई 

जेठ की दुपहरी सा तपता था अकेलापन 
घनी जुल्फों की छांव से जिंदगी बदल गई 

तेरी हर शोख अदा जैसे बहारों का कारवां 
जमाने की मुझको जैसे हर खुशी मिल गई 

पलकों की चिलमन के इशारों से पयाम आया 
बेताब दिल की सनम,  हर धड़कन मचल गई 

पहली छुअन की ताजगी संभाल के रखी है 
जैसे कि दिल पे हजारों बिजलियां सी चल गई 

एक मुस्कुराहट ही बस जीने के लिए बहुत है 
तेरी मेहरबानियों की वर्षा से मेरी झोली भर गई 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
16.5.22 

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15 Comments

Shrishti pandey

17-May-2022 10:27 AM

Nice

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Swati chourasia

17-May-2022 07:00 AM

बहुत खूब 👌

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Abhinav ji

17-May-2022 06:55 AM

Nice👍

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